क्यों हो जाती हैं महिलाएँ मोटी

मोटापा यूँ तो आम समस्या है परंतु महिलाओं मेें इसके कुछ विशेष कारण हैं –

  • गर्भावस्था: प्रत्येक महिला का गर्भ धारण के दौरान 10 से 15 किलो वजन बढ़ जाता है। प्रसूति के बाद 7 से 8 किलो वजन कम हो जाने के बाद भी कुछ वजन बढ़ा हुआ ही रह जाता है।
  • गर्भावस्था के बाद दिया जानेवाला गरिष्ठ आहार जैसे सूखे मेवे, घी, गुड़, अजवाइन का मिश्रण आदि वजन बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • गर्भ निरोधक गोलियाँ भी वजन बढ़ाती हैं।
  • महिलाओं का अधिकांश समय रसोई में रहना तथा खाने-पीने की वस्तुओं के संपर्क में रहना। अकसर न चाहते हुए भी खाने में आ जाना।
  • व्यायाम का अभाव: अधिकांशत: महिलाएँ कार्य तो खूब करती हैं परंतु व्यस्तता के कारण व्यायाम नहीं कर पाती हैं।
  • महिलाओं में मोटापे का एक बहुत ही महत्वपूर्ण कारण थाइरॉइड संबंधी बीमारियाँ हैं। खासतौर पर हार्मोन की कमी यानी हायपोथाइरॉइडिज्म। थाइरॉइड संबंधी बीमारियाँ महिलाओं में पुरुषों की अपेक्षा आठ गुना अधिक होती हैं। महिलाओं में तनाव का एक लक्षण मोटापा है। जो महिलाएँ तनावग्रस्त होती हैं उनमें वजन तेजी से बढ़ता है। वे तनाव कम करने के लिए अधिक एवं असमय खाती हैं, जबकि पुरुषों में इसके विपरीत होता हैं।
  • महिलाओं में मोटापे का एक और महत्वपूर्ण कारण है, पोलीसीस्टीक ओपेरियन डिसीज, इस बीमारी में मोटापा, उच्च रक्तचाप, मासिकधर्म की अनियमितता, गर्भ धारण करने में परेशानी या निसंसति, अनचाहे स्थानों पर बालों की अधिकता इसके मुख्य लक्षण हैं।

क्या करें

  • सर्वप्रथम मोटापे का कारण मालूम करें।
  • चिकित्सक से जाँच एवं कारणों के अनुसार इलाज एवं दवाइयाँ लें।
  • खान-पान में नियंत्रण एवं नियमित व्यायाम तो जरूरी है ही।

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