इस लेख में ‘के 11 अकादमी ऑफ फिटनेस सायन्सेस’ के Executive Director मयूर सबनीस जी एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय की जानकारी देनेवाले हैं और वह विषय है, ‘कम्प्लीट फिटनेस’। आपकी उम्र चाहे जो भी हो, आप हमेशा फिट रह सकते हैं। अब फिट रहने का मतलब सिर्फ निरोगी रहना नहीं है बल्कि इसके अलावा कई महत्वपूर्ण पहलू ‘फिटनेस’ इस संकल्पना में आते हैं। तो क्या आप ये बातें जानकर ‘फिटनेस लाइफस्टाइल’ अपनाने के लिए तैयार हैं?
रोहन अपने ऑफिस के लिए निकल रहा था। उसने अपनी गाड़ी निकाली और वह तेज गति से गाड़ी चलाने लगा। आधा किलो मीटर आगे जाते ही उसकी गाड़ी बंद पड़ गई। रोहन ने पेट्रोल की टंकी देखी और उसे पसीने छूटने लगे क्योंकि पेट्रोल पूरा खत्म हुआ था और पेट्रोल पंप करीबन एक-दो किलो मीटर की दूरी पर था। आज रोहन का ऑफिस में एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रॅजेंटेशन था। उसे किसी भी हालत में जल्दी पहुँचना जरूरी था। जहाँ पर उसकी गाड़ी बंद पड़ी थी, वहाँ ना ही कोई बस की सेवा थी और ना ही कोई अन्य वाहन! अब रोहन के सामने एक ही विकल्प था। गाड़ी ढकेलते हुए पेट्रोल पंप तक ले जाना। एक घंटे के बाद रोहन पेट्रोल पंप पर पहुँच तो गया। मगर वहाँ पर पहुँचते ही वह इतना जोर-जोर से हाँफने लगा कि उसे चक्कर आने लगे। कुछ लोगों ने उसे ऑटो में बिठाकर उसके घर तक पहुँचा दिया। रोहन की उम्र है, केवल 30 साल!
सुबह दस बजे अशोक जी को मेहमानों का अचानक फोन आया। कुछ मेहमान उनके घर आ रहे थे और दोपहर का खाना भी अशोक जी के घर पर करनेवाले थे। अब घर में सिर्फ वे थे और उनकी बहू! बहू ने खाना बनाने की तैयारी तो शुरू की, मगर कुछ ही देर में गैस ही खत्म हो गई। अब अशोक जी को नया गैस सिलिंडर लाने बाहर जाना पड़ा। वे अकेले गए और उन्होंने गैस सिलिंडर लाया। जब वे लिफ्ट से सिलिंडर छठे माले पर लाने के बारे में सोच रहे थे, तब लिफ्ट ही बंद पड़ गई। अब अशोक जी खुद सिलिंडर उठाकर सीढ़ियों से छठे माले पर आ गए। इतना ही नहीं, बल्कि बाद में मेहमानों के लिए कुछ गिफ्ट्स और सामान लाने के लिए वे मार्केट भी चले गए, वह भी पैदल! आश्चर्य की बात तो यह है कि पूरे दिन वे मेहमानों के साथ गपशप में, हँसी मज़ाक में बहुत ही प्रसन्न दिख रहे थे। वे बिलकुल भी थके हुए नहीं दिख रहे थे। अशोक जी की उम्र है, 62 साल!
दोस्तो, ज़रा इन दो घटनाओं पर गौर करें। 30 साल का रोहन और 62 साल के अशोक जी इन दोनों में ऐसा क्या फर्क है? हालाँकि उम्र के हिसाब से देखें तो रोहन के साथ जो हुआ वह बिलकुल भी सही नहीं था। आप मनन करेंगे तो आपको पता चलेगा कि इन दोनों में एक ही मुख्य फर्क है और वह है, उनकी ‘कार्यक्षमता’। अर्थात ‘functional capacity’! इस कार्यक्षमता पर ही आपका ‘फिटनेस’ निर्भर है। ‘फिटनेस’ यानी आपकी कार्यक्षमता, जो आपके रोजमर्रा के जीवन में दिखाई देती है। फिर चाहे वह कोई भारी वजन उठाना हो, सीढ़ियाँ चढ़ना हो या लगातार कोई शारीरिक श्रम करना हो। आपका शरीर बिना थके, बिना रुके कोई शारीरिक क्रिया कर सकता है और फिर भी आप तरोताजा महसूस कर रहे हैं, तो इसका मतलब आप ‘फिट’ हैं! मगर आपकी हालत रोहन जैसी है, तो आपको ‘कम्प्लीट फिटनेस’ के बारे में जरूर जानकारी प्राप्त करनी चाहिए।
हमारे जीवन का दर्जा हमारी शारीरिक कार्यक्षमता पर निर्भर है क्योंकि अगर आपको लगातार काम करना है, तो आपकी कार्यक्षमता उच्च होनी ही चाहिए। अगर आपको डान्स करना पसंद है तो भी आपकी कार्यक्षमता उच्च होनी चाहिए। अगर आपको ट्रैवलिंग पसंद है, तो भी आपका फिट होना जरूरी है। इतना ही नहीं बल्कि अगर आपको आपका आध्यात्मिक लक्ष्य पूरा करना है, तो भी आपकी फिटनेस महत्वपूर्ण है क्योंकि एक फिट शरीर में ही निःस्वार्थ कार्य करने के लिए आवश्यक ऊर्जा होती है। अतः आपके जीवन का दर्जा ‘Quality of Life’ आपकी शारीरिक कार्यक्षमता पर निर्भर है और जितनी बढ़िया कार्यक्षमता उतना ज्यादा फिटनेस!
पहले तो यह समझें कि सिर्फ निरोगी शरीर पाना यानी ‘कम्प्लीट फिटनेस’ नहीं। बल्कि निरोगी शरीर की कार्यक्षमता उच्च होना ही ‘कम्प्लीट फिटनेस’ है। हेल्थ और फिटनेस ये दो अलग संकल्पनाएँ हैं। अगर आपके शरीर में कोई बीमारी या रोग नहीं है, तो आपको ‘निरोगी, हेल्दी’ कहा जा सकता है; मगर इसका मतलब यह नहीं कि आप ‘फिट’ हैं। केवल बीमारी से मुक्त होना यानी ‘निरोगी’ रहना हमारा लक्ष्य न हो, बल्कि ‘कम्प्लीट फिटनेस’ पाना हमारा लक्ष्य होना चाहिए। कम्प्लीट फिटनेस यानी ऐसा रोग रहित शरीर जिसकी कार्यक्षमता उच्च है, जिसमें शुद्ध रक्त का संचार हो रहा है, जिसमें मांसपेशियों की ताकत भी बढ़िया है और उनमें लचीलापन भी है! जाहिर है कि ऐसे शरीर में जीवन की कोई भी कठिनाई का सामना करने की क्षमता है। सिर्फ भारी वजन उठाने की नहीं, बल्कि रोज़मर्रा की जिंदगी में आनेवाली चुनौतियों से लड़ने की ताकत सिर्फ ‘फिट’ शरीर में होती है।
आपकी उम्र चाहे जो भी हो, अगर साठ साल की उम्र में भी आपकी कार्यक्षमता 30 साल के नौजवान समान है, तो आपके शरीर की उम्र भी 30 ही हो गई। उम्र के दो प्रकार हैं :
- क्रोनोलॉजिकल एज
- फिजिकल एज
तात्पर्य
- कार्डिओ-रेस्पिरेटरी एन्ड्यूरन्स (Cardiorespiratory endurance)
- मस्क्यलर एन्ड्यूरन्स (muscular endurance)
- फ्लेक्सिबिलिटी (flexibility)
- मस्क्युलो-स्केलेटल स्ट्रेंग्थ (musculoskeletal strength)
- आइडियल बॉडी कम्पोजिशन (ideal body composition)
अब इन पाँच पहलुओं के बारे में और ‘फिटनेस लाइफस्टाइल’ के बारे में जानेंगे, अगले अंक में… स्टे हॅपी, स्टे फिट!
– मयूर सबनीस