गले संबधी रोगों में सर्वश्रेष्ठ औषधि है मुनक्का।

 दिखने में छोटी मुनक्का बहुत ही गुणकारी है। इसमें वसा की मात्रा नहीं के बराबर होती है। यह हल्की, सुपाच्च, नरम और स्वाद में मधुर होती है। इसे बडी दाख (रेजिन) के नाम से भी जाना जाता है, साधारण दाख और मुनक्का में इतना फर्क है की, यह बीज वाली होती है और छोटी दाख से अधिक गुणकारी होती है। आयुर्वेद में मुनक्का को गले संबंधी रोगों की सर्वश्रेष्ठ औषधि माना गया है। मुनक्का के औषधीय उपयोग इस प्रकार है –

सर्दी-जुकाम होने पर सात मुनक्का रात्रि में सोने से पूर्व बीज निकालकर दूध में उबालकर लें। एक खुराक से ही पूरा फायदा होगा। यदि सर्दी-जुकाम पुराना हो गया हो तो सप्ताह भर तक लें।

मियादी और पुराने ज्वर में दस मुनक्का एक अंजीर के साथ सुबह पानी में भिगोकर रख दें। रात्रि में सोने से पूर्व मुनक्का और अंजीर को दूध के साथ उबालकर लें। ऐसा तीन दिन करें। कितना भी पुराना बुखार हो, ठीक हो जाएगा।

जिन व्यक्तियों के गले में निरंतर खराश रहती है या नजला एलर्जी के कारण गले में तकलीफ बनी रहती है, उन्हें सुबह-शाम दोनों वक्त चार-पाँच मुनक्का बीज निकालकर खुब चबाकर खा लेनी चाहिए, पर ऊपर से पानी न पीएँ। दस दिन तक निरंतर ऐसा करें।

गलकंठ और दमा रोगियों के लिए भी इसका सेवन फायदेमंद है। क्योंकि मुनक्का श्‍वास-नलियों के अंदर जमा कफ को तुरंत बाहर निकालने की अद्भुत क्षमता रखता है।

कब्ज के रोगियों को रात्रि में मुनक्का और सौंफ खाकर सोना चाहिए। कब्ज दूर करने की यह रामबान औषधि है।

जो बच्चे रात्रि में बिस्तर गिला करते हैं, उन्हें दो मुनक्का बीज निकालकर रात को एक सप्ताह तक खिलाएं। इस बीच बच्चे को ठंडी चीजों एवं दही, छाछ का सेवन न करने दें। एक मुनक्का का बीज निकालकर उसमें लहसुन की फाँक रखकर खाने से उच्च रक्तचाप से आराम मिलता है।

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