पेट के रोगों पर अत्यंत उपयुक्त: हींग

हींग एक ऐसा पदार्थ है, जो प्रायः सभी जगह सहजता से उपलब्ध होता हैऔर इस्तेमाल किया जाता है। इसे रसोईघर के मसालों में प्रमुख स्थान प्राप्त है। खाद्य पदार्थों में, रोज के भोजन में इसका थोड़ा सा इस्तेमाल कमाल करता है। भोजन का स्वाद तो बढ़ता ही है, साथ में यह पेट के अनेक विकारों को दूर करने की क्षमता भी रखता है। बहुगुणी हींग के गुणों का वर्णन जितना किया जाय कम है।

हींग: हींग श्वासहरक होता है। आँखों के लिए हितकर होता है। यह आँतों के लिए उत्तेजक, गर्भाशय के लिए उत्तेजक, तनावनाशक एवं विषम ज्वर नाशक होता है।

मलेरिया में भोजन द्वारा इसके सेवन से आँतों को फायदा होता है और मलेरिया से संरक्षण मिलता है।
हींग के सेवन से वायुसंस्था नियमित होती है।
हींग अपचन में फायदेमंद होता है। यह पेट दर्द में तुरंत राहत देता है।
नवसार और गुग्गुल के साथ हींग का सेवन करने से टायफॉईड ठीक हो जाता है।
चुटकी भर हींग को घी के साथ खाने से अपचन व गैस में राहत मिलती।
हींग, कपूर एवं आम की गुठली को समप्रमाण में लेकर पुदीने के रस में पीसकर चने के आकार की गोलियाँ बनायें। ये 2-2 गोलियाँ हर आधे घंटे में लेने से कॉलरा में फायदा होता है।
सौंफ के अर्क में हींग मिलाकर, उसे लेने से मूत्रावरोध में लाभ होता है।
घी में हींग भूनकर, उसे घी के साथ सेवन करने से प्रसूता को आने वाले चक्कर एवं शूल दूर होता है।
हींग का सेवन करने से गर्भ अंकुचित होता है। मासिक स्राव साफ होता है व स्त्रियों की उदर वेदना दूर होती है।
हींग एवं नीम के पत्तों को पीसकर उसका लेप लगाने से जख्मों में हुए कीड़े मर जाते हैं।
हींग पानी में मिलाकर, नाक में कुछ बूँदें डालने से आधासीसी में आराम मिलता है।
हींग को शहद में मिला लें। उसमें कपास की बाती को भिगोकर, जलाकर उसका काजल बना लें। यह काजल आँखों में लगाने से आँखों के तेज में वृद्धि होती है।

सूचना:

हींग घी में भूनकर ही खायें वरना गला खराब हो जाने की संभावना है।
हींग उष्ण होता है इसलिए उष्ण व पित्त प्रकृति वाले लोगों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए।

नोटः

स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए हींग उपयुक्त औषधि है।

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