पर्यावरण प्रदूषण, खेती में विषैले रसायनों का प्रयोग, अधिक मात्रा में एंटीबायोटिक औषधियों का सेवन, गलत आहार-विहार, आधुनिक जीवनशैली के कारण कैंसर रोगियों की संख्या में बढ़ोत्तरी होती जा रही है। लाख प्रयत्न के बाद भी आधुनिक चिकित्सा विज्ञान को सफलता नहीं मिल रही किसी भी कैंसर रोगी को स्वस्थ और सामान्य जीवन में लौटाया जा सके। लाख कोशिश के बाद भी आधुनिक चिकित्सा विज्ञान को यह सफलता नहीं मिली है कि किसी भी कैंसर रोगी को स्वस्थ और सामान्य जीवन दिया जा सके। ॠषि, मुनियों द्वारा प्रतिपादित प्राचीन भारतीय विज्ञान, आधुनिक चिकित्सा से कई गुना उपयोगी और सफल है। यह चिकित्सा सरल, सुलभ, कम खर्चीली तथा हर सामान्य व्यक्ति के लिए उपयोगी है।
अभी तक असाध्य माने जानेवाले कैंसर को हरा ही नहीं दिया गया बल्कि कैंसर के रोगियों को एक सामान्य व्यक्ति की तरह जीवनधारा में शामिल कर लिया गया है। यह बात सुनने व समझने में चमत्कार ही लगेगी।
सभी प्रकार के कैंसर में आधुनिक चिकित्सा द्वारा आखिरी उपचार भी कर लिया गया हो, परंतु सत्य यह है कि हमारे अनेक वर्षों के शोध के उपरांत आयुर्वेद पद्धति के उपयोग से आप घर पर रहते हुए एक सप्ताह में कैंसर पर नियंत्रण करके तीन से पाँच महीने में असाध्य कहे जानेवाले कैंसर रोग से मुक्ति पा सकते हैं।
औषधि
- सर्वप्रथम शीशम वृक्ष की पत्तियों का अर्क पचास ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह खाली पेट एक सप्ताह तक पीएँ। इसके बाद एक घंटे तक कुछ भी न लें। एक सप्ताह में कैंसर पर नियंत्रण हो जाएगा। नियंत्रण हो जाने के बाद अर्क का सेवन बंद कर दें।
- सुबह नाश्ते के बाद प्रतिदिन ‘पंचतिक्तधृतगुगुल’ दो गोली जल के साथ रोग ठीक होने तक सेवन करें।
- दोपहर व रात भोजन के बाद ‘महामंजिष्ठाद्यारिष्ट’ 15 मिली, 50 मिली जल में मिलाकर पीएँ, जब तक रोग से मुक्ति न हो जाए।
- शीशम पत्ती के अर्क का सेवन बंद हो जाने के बाद सुबह खाली पेट 25 ग्राम की मात्रा में ‘आरोग्यकल्प हर्बल औषधि’ फाँककर जल का सेवन करें। उक्त औषधि के सेवन से कैंसर कोशिकाओं को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन प्राप्त होकर कैंसर का अस्तित्व मिटने लगता है। इसका सेवन जब तक रोग से मुक्ति न हो जाए तब तक करें।
- शीशम पत्ती का अर्क का सेवन बंद हो जाने के पश्चात रात को सोते समय ‘अमृत संजीवनी गोल्ड’ एक चम्मच की मात्रा फाँककर सादा गुनगुना दूध का सेवन करें। इस औषधि के सेवन से पूरे शरीर में ऊर्जा का संचार होना शुरू हो जाता है तथा शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होने के साथ-साथ सभी प्रकार की कमजोरी दूर हो जाती है।
बचाव: कैंसर रोगी के खाने-पीने में चीनी के स्थान पर गुड़ का प्रयोग तथा नमक के स्थान पर सेंधा नमक का प्रयोग तथा खाने में सरसों का तेल का ही सेवन करना होगा।
डी. के. वैद्य, आयुर्वेद हेल्पलाइन सेवा संस्थान, यू. पी.