आयुर्वेद में जीवन रक्षक औषधियों की भरमार है। लेकिन पहचान, प्रयोग विधि और लाभ संबंधी पूरी जानकारी न हो पाने के कारण हम प्रायः इनकी आरोग्यकारी प्रकृति से लाभान्वित नहीं हो पाते। उक्त तथ्यों के आलोक में तुलसी ऐसी महौषधियां हैं जिन्हें सुगमता से अपने स्वास्थ्य की बागडोर थमाकर शरीर रुपी रथ को अकंटक दौड लगाने की सहूलियत प्रदान की जा सकती है।
तुलसी की औषधिय उपयोगिता:-
शीत ॠतु में सिरदर्द, जुकाम, गले में खराश एवं मौसम की सुस्ती दूर करने के लिए तुलसी की चाय बनाकर पीना हितकारी है। सौंठ तीन ग्राम, तुलसी सात पत्ती, काली मिर्च सात दाने, इन सभी को 250 मिली जल में पकाकर चीनी मिलाकर गर्म-गर्म पीने से इंफलुएंजा जुकाम, खांसी और सिरदर्द का शमन हो जाता है।
ऐंठन युक्त दस्त हो, तब अनार की एक कली, तुलसी के पत्ते और काली मिर्च को ठंडाई की तरह पीसकर सेवन करने से काफी लाभ मिलता है।
तुलसी और अडूसा के पत्तों का रस बराबर मात्रा में लेकर पीने से खांसी में आशातीत लाभ मिलता है या केवल तुलसी के दस पत्ते एक प्याला पानी में दबालकर-छानकर एक चम्मच मध डालकर दिन में दो बार पीने से फायदा मिलता है।