त्रिफला से भागती है अनेक बीमारियाँ

हरड़, बहेड़ा और आँवला सर्वत्र मिलते हैं। ये हानिरहित तीन फल हैं, जिसमें सैकड़ों गुण हैं। इन तीनों फलों में कई कीमती विटामिन और धातु हैं, जो मनुष्य के शरीर के लिए अति उत्तम है। त्रिफला शरीर में विटामिन सी की कमी से पैदा होनेवाले रोगों में बहुत ही लाभप्रद है। आँवले में विटामिन सी प्रचुर मात्रा में होता है। इस विटामिन की कमी से कई रोग हो जाते हैं।

त्रिफला के फायदे

  1. बिना कारण मसूढ़ों में पीप आना, रक्तस्राव, नाक से खून बहना, गर्भाशय से रक्तस्राव होने पर त्रिफला के सेवन से आराम आ जाता है।
  2. त्रिफला यकृत को शक्ति देता है और शरीर में लोहे की कमी को पूरा करता है।
  3. त्रिफला नया रक्त उत्पन्न करता है।
  4. यकृत में दर्द के विकारों को दूर करता है।
  5. त्रिफला मूत्रांगों के काफी रोगों में लाभकारी सिद्ध हुआ है। मूत्र में पीप आना, बुढ़ापे में प्रोस्टेट ग्लैंड्स का बढ़ जाना, मूत्र बंद हो जाने की तकलीफों में बड़ा लाभप्रद है। बुढ़ापे में भी वृक्कों को नियमित बनाए रखता है।
  6. त्रिफला खिलाते रहने से बच्चों के पेट के कीड़े मर जाते हैं।
  7. त्रिफला को किसी बंद बर्तन में जलाकर राख को पीसकर छान लें। इस राख को दाँतों एवं मसूढ़ों में मलते रहने से पीप और रक्त आने की तकलीफ में आराम मिलता है। हिलते दाँत मज़बूत हो जाते हैं। मुँह से बदबू आना बंद हो जाती है।
  8. आँवला और हरड़ को रसायन कहा गया है। रसायन वे दवाएँ होती हैं, जिनमें बूढ़ों को जवान बनाने के विशेष गुण होते हैं। त्रिफला में बूढ़ों को जवान बनाने के विशेष गुण है क्योंकि त्रिफला मनुष्य की ग्लैंड्स, स्नायु, मस्तिष्क, यकृत, दिल और पाचनअंगों को ताकतवर बनाए रखता है। इसलिए त्रिफला को मधु के साथ खाने से रक्तवाहिनियाँ कोमल और लचीली हो जाती हैं।
  9. त्रिफला के नियमित उपयोग से चेहरे की झुर्रियाँ दूर हो जाती हैं।
  10. बड़ी आयु में भी दिल फेल नहीं होता और मनुष्य बुढ़ापे में भी जवानों की तरह चुस्त और शक्तिशाली बना रहता है।
  11. त्रिफला के पानी से सिर और बाल धोते रहने से बाल लंबे, चमकीले, घने, काले सुंदर और अधिक पैदा होने लगते हैं और समय से पूर्व सफेद नहीं होते हैं।
  12. पुराना सिरदर्द, सिर में गरमी की अधिकता, उच्च रक्तचाप, नाक से रक्त आना रुक जाता है।
  13. मस्तिष्क और स्नायु शक्तिशाली हो जाते हैं।
  14. इसके पानी से घावों को धोते रहने से वे जल्दी ठीक हो जाते हैं।
  15. त्रिफला पाचन अंगों की कमज़ोरी दूर करता है।
  16. यह खूनी और बादी बवासीर में काफी लाभप्रद है।
  17. आमाशय और अंतड़ियों को शक्तिशाली बनाता है।
  18. भूख न लगना, पेट फूल जाना, पेट में वायु की अधिकता, आंत्रशोध, भोजन न पचने के कारण सिरदर्द, दिल पर दबाव पड़ने से दिल का अधिक धड़कना, गॅस के कारण नींद न आना इनमें यह बड़ा लाभकारी सिद्ध हुआ है।
  19.  त्रिफला दिल को शक्ति देता है, दिल अधिक धड़कना, फड़फड़ाना, गरमी में पैदा होनेवाले दिल के रोग, रक्तवाहिनियों का तंग हो जाना और उनमें लचक न रहना आदि रोगों में उत्तम उच्चकोटि की दवा है। इसका लगातार प्रयोग करने से दिल ताकतवर हो जाता है। रक्तवाहिनियाँ नर्म और लचीली होने के कारण मनुष्य बड़ी उम्र में चुस्त रहता है।
  20. त्रिफला के प्रयोग से आँखों से पानी बहना, आँखों की लाली, खुजली, रात को कम दिखाई देना, दृष्टि की कमज़ोरी दूर हो जाती है।
  21. मस्तिष्क और स्नायु को शक्ति देने तथा पुराने जुकाम, नाक में शोध, नाक बंद हो जाना, सूँघने की शक्ति न रहना और नाक में बू आने की रामबाण सस्ती दवा है। यानी त्रिफला मनुष्य के जीवन को चुस्त बनाती है।

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