ढलती उम्र में आहार द्वारा रोगों से बचाव

जन्म के पहली साँस के साथ शुरू होता है विकास। विकास केवल शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक बौद्धिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक विकास भी होता है। विकास के हर कदम के साथ-साथ उम्र बढ़ती है और प्रकृति के नियमानुसार उम्र के ढलने की प्रक्रिया भी एक निश्चित समय के पश्चात शुरू हो जाती है।

प्रकृति का हर नियम निश्चित समय पर अपना कार्य करता है किंतु इंसान नियमों के विरुद्ध बरताव करने का आदी हो चुका है इसलिए वह रोगों का शिकार होता रहता है और फिर उससे निजाद पाने की दौड़ में शामिल हो जाता है।

इससे बेहतर है कि आप अपनी उम्र के साथ आहार पर ध्यान दें ताकि जीवन के अंतिम क्षण तक आप जीवन का भरपूर आनंद ले पाएँ।

हम जो खाते-पीते हैं उसी से तय होता है हमारे स्वास्थ्य से उम्र का संबंध। आप अपना मनपसंद भोजन करते हुए भी खान-पान पर थोड़ा सा ध्यान देकर, अपनी उम्र के असर से छुटकारा पा सकते हैं।

खाने में पोषक आहार और खुश रहना ये दो बातें आपकी उम्र बढ़ाने का काम करती हैं। अपने खाने में कुछ बदलाव लाएँ तो आपको फायदा होगा।

  1. ऑर्गेनिक फूड चुनें: ऑर्गेनिक फूड यानी पूरी तरह प्राकृतिक अनाज, जिसे उगाने में किसी भी तरह के केमिकल या किटाणुनाशक का प्रयोग न किया गया हो। इस तरह के खाद्यपदार्थों में पोषक तत्त्व अधिक मात्रा में होते हैं और ये पदार्थ स्वादिष्ट भी होते हैं। केमिकल और किटाणुनाशक कृत्रिम खाद इत्यादि की वजह से खाद्यपदार्थ विषवत् हो जाते हैं, जिनसे हमारे शरीर के अवयव धीरे-धीरे प्रभावित होते जाते हैं।
  2. एंटि ऑक्सिडेंट: फल, सब्जियों आदि में मौजूद एंटि ऑक्सिडेंट शरीर की कोशियों को नष्ट होने की दर में कमी लाते हैं तथा इंफ्लेमेशन कम करते हैं। इससे हृदय रोग, कैंसर व मधुमेह का खतरा कम होता है। एंटि ऑक्सिडेंट चीजें जैसे पालक, स्ट्रॉबेरी, काले अंगूर के सेवन से याददाश्त में कमी को रोका जा सकता है और सीखने की क्षमता को सुरक्षित रखा जा सकता है। इसके साथ ही ऑक्सीजन से सूक्ष्म रक्त वाहिकाओं को होनेवाले नुकसान से भी एंटि ऑक्सिडेंट बचाव करते हैं। सूखा आलूबुखारा, मुनक्का इत्यादि में भी एंटि ऑक्सिडेंट की मात्रा भरपूर होती है।कई मसालों, जड़ी-बूटियों, ग्रीन टी, धनिया, जायपत्री इत्यादि में भी यह प्रचूर मात्रा में पाया जाता है।
  3. कैल्शियम: 30 वर्ष की उम्र के पश्चात हर स्त्री-पुरुष के शरीर से कैल्शियम की मात्रा कम होने लगती है। यह नुकसान हर साल आधे फीसदी से कुछ कम होता है। स्त्रियों में रजोनिवृत्ति के बाद पाँच से आठ साल तक यह नुकसान एक से दो फीसदी तक हो सकता है। इससे बचने के लिए, कैल्शियम से परिपूर्ण चीजों का इस्तेमाल अधिक मात्रा में करें, जैसे हरी पत्तेदार सब्ज़ियाँ, बीन्स, अनाज, दूध, दूध से बने खाद्यपदार्थ इत्यादि। विशेषज्ञों के अनुसार महिलाओं को प्रतिदिन एक हजार से पंद्रह-सौ मिली ग्राम कैल्शियम लेना चाहिए।
  4. प्लांट ऑइल: हायड्रोजनेटेड तेल मेें सॅच्युरेटेड फैट होता है, जो धमनियों में जम जाता है, जिससे खून के संचार में बाधा आती है। इससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। सोया व कॉर्न ऑईल भी टॉक्सिक हो सकते हैं क्योंकि इन्हें भी इस्तेमाल करते समय तेज आँच का प्रयोग किया जाता है।
  5. बिना रिफाइनिंग के ‘एक्स्ट्रा वर्जिन आलिव ऑईल’ का इस्तेमाल करें। इसमें मोनो-अनसॅच्युरेटेड फैट के साथ विटामिन ई एंटि ऑक्सिडेंट के साथ प्राकृतिक एंटिइंफ्लेमेटरी केमिकल सक्केलिन होता है। ये खून को जमने की प्रक्रिया को धीमी करता है। इसके अलावा हृदय के लिए अखरोट व बादाम, अलसी तेल, मछली आदि लाभदायक होते हैं। तेल में अलसी तेल, सरसों का तेल, मूँगफली का तेल, तिल का तेल इत्यादि इस्तेमाल किए जा सकते हैं।
  6. शरीर का वजन: ज़रूरत से ज्यादा वजन कई क्रॉनिक परेशानियों की जड़ बन जाता है। अपने वजन को सही अनुपात में रखने के लिए खाने की सीमा तथा व्यायाम, योगासन पर ध्यान देना चाहिए। आप मेहनत का काम नहीं करते और अपना वजन जितना है उतना ही बनाए रखना चाहते हैं तो अपने वजन के अनुसार किलो के हिसाब से 30 कैलरी प्रति किलो लें। अगर आप मेहनती हैं तो 35 कैलरी प्रति किलो ले सकते हैं। यदि आपका वजन 50 किलो है तो 503 कैलरी लें। यदि वजन कम करना चाहते हैं तो रोज की कैलरी में से पाँच सौ कैलरी कम कर दें। अपने वजन को बढ़ाने के लिए 400 से 500 कैलरी बढ़ा दें।
  7. कार्बोहायड्रेट: कार्बोहायड्रेट प्राप्ति के लिए प्लाँट स्टार्च (plant starch) जैसे गेहूँ, चावल, मक्का और आलू का प्रयोग करें।
  8. प्रोटीन्स: प्रोटीन्स दो तरह से प्राप्त किए जा सकते हैं- 1) मांसाहार (मटन, अंडा, दूध, पनीर) और 2) वनस्पतिजन्य (सब तरह की दाल, सोयाबीन, मशरूम इत्यादि)
  9. फैट्स: घी, मख्खन, क्रीम, अंडे का पीला हिस्सा, मटन, दूध, नारियल तेल, सरसों का तेल इत्यादि से फैट प्राप्त होता है। अपने खाने में ऐसी चीजों की मात्रा थोड़ी कम ही रखें।
  10. फायबर: इसका उपयोग पाचन क्रिया में मददगार होता है। इससे खून का कोलेस्टेरॉल कम होने में सहायता प्राप्त होती है। हरी पत्तेदार सब्ज़ियाँ, फल, कार्बोहायड्रेट इत्यादि से इसकी प्राप्ति होती है।
  11. मिनरल्स और विटामिन: मिनरल्स और विटामिन शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बहुत कीमती होते हैं। सबसे महत्वपूर्ण है कैल्शियम, झिंक, लोह, कॉपर, पोटैशियम तथा सोडियम। शरीर में विटामिन E, C से D, B-12 इत्यादि सही मात्रा में होने आवश्यक हैं।

मौसम के अनुसार प्राप्त सब्ज़ियों और फलों का सेवन अवश्य करें। इनमें आपको सभी प्रकार के मिनरल्स, विटामिन और फायबर की प्राप्ति होगी।

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