इलाज कैसे करें?

नींद इंसान को प्रकृति द्वारा दिया गया वरदान है जो शरीर को तरोताजा करके नया जीवन प्रदान करती है। नींद के पश्चात इंसान फिर से तरोताजा बनकर अपने कार्यों में जान डाल देता है। संपूर्ण नींद यानी गहरी, निर्विघ्न, शांत और पर्याप्त मात्रा में नींद आना। शिशु 15-16 घंटे की नींद लेते हैं, किशोर व युवा 9-10 घंटे की नींद लेते हैं। वयस्क लोगों को 6 से 7 घंटे की नींद पर्याप्त होती है एवं वृद्ध लोग अपने स्वास्थ्य के अनुरूप कम नींद लेते हैं।

नींद का समय निश्चित हो, यह आवश्यक नहीं है। यह हर इंसान की प्रकृति पर निर्भर होता है। जब मस्तिष्क थक जाता है तथा इंद्रियाँ थक जाती हैं तब इंसान नींद के अधीन हो जाता है। पर्याप्त नींद पाने के पश्चात उसका मस्तिष्क फिर से सुचारु रूप से काम करना शुरू कर देता है और वह फिर से दिनभर के कार्य करने की शक्ति पाता है।

नींद पर अनेक बातें निर्भर करती हैं। प्रसन्नता एवं दुःख, मोटापा एवं निर्बलता, शक्ति एवं कमजोरी, क्षमता एवं अक्षमता, बौद्धिकता एवं अबौद्धिकता। अधिक, कम या खराब नींद प्रसन्नता को कम कर देती हैऔर जीवन अस्त-व्यस्त कर देती है। यदि नींद ठीक तरह से हो जाए तो वह प्रसन्नता और दीर्घ जीवन प्रदान करती है।

शरीर को स्वस्थ रखने के लिए जितनी आवश्यकता भोजन की है, उतनी ही आवश्यकता संपूर्ण नींद की भी है।
नींद से संबंधित बीमारियाँ तीन प्रकार की होती हैं:

  • अनिद्रा या सोने में असमर्थता के कारण
  • बाधित निद्रा
  • अत्यधिक निद्रा

रजोगुण तथा वात बढ़ने से प्रायः अनिद्रा रोग अपनी जड़ें जमा लेता है। तमोगुण बढ़ने व कफ विकृति होने से अधिक नींद आती है। नींद टूटने के कई कारण हो सकते हैं जैसे वात-पित्त संबंधी रोग, मानसिक रोग, पेट में गैस इत्यादि।

नींद आने के लिए कुछ उपाय

  • अनिद्रा का कारण है वात तथा कफ बढ़ानेवाली खुराक लेना। चाय, कॉफी, ठंढे पेय पीना बंद करें।
  • गरम, मीठा दूध, जड़ी-बूटी (अदरक, तुलसी, सोंठ, लौंग) वाली आयुर्वेदिक चाय का सेवन करें। इन्हें सोने से पहले पीएँ, यह नींद लानेवाली होती है।
  • नींद का वातावरण तैयार करें। टी.वी. अधिक देखना बंद करें, कुछ पढ़ें। गहरी साँस लें। रात के अंधकार पर अपना ध्यान केंद्रित करें। ईश्वर से प्रार्थना करें। अनिद्रा से वात वृद्धि होती है और वात वृद्धि से नींद नहीं आती। सोचना बंद करें।
  • वात कम करने के लिए बीच-बीच में (8-15) दिनों में एक बार एनिमा लें तथा मालिश करें। एनिमा से वात शांत हता है तथा रक्त शुद्ध होता है। मालिश से रक्त का संचार सुचारू रूप से होता है।
  • नियमित तथा संतुलित भोजन वात को संतुलित रखता है। बाम या सुगंधित तेेल नींद लाने में सहायक होते हैं।
  • निद्रा का मुख्य कारण मानसिक रोग होता है इसलिए अपने मन-मस्तिष्क पर नियंत्रण रखें।
  • पहाड़ी मोटे चावल उबालकर, गर्म व मीठे दूध के साथ लें। नमकीन व रूखे पदार्थों का सेवन न करें।
  • कुछ लोग भोजन में पर्याप्त तरल पदार्थ नहीं लेते। शरीर में पानी की कमी सदैव बनी रहती है। तरल पदार्थ अधिक मात्रा में लें, सूप का प्रयोग अधिक करें। अधिक सलाद व फल लें।

डॉ. शर्मिला घाटगे, बी. ए. एम. एस

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