आज की जीवनशैली के कारण मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय विकार जैसी बीमारियाँ के कारण गुर्दे के ऊपर बहुत बुरा असर हो रहा है। इसलिए गुर्दे की बीमारी आज तेजी से बढ़ रही है। आज गुर्दे को स्वस्थ रखना बहुत जरूरी हो गया है। अर्धमत्स्येन्द्रासन, बद्धकोणासन जैसे आसन गुर्दे के में सुधार लाने में बहुत मददगार पाए जाते हैं।
अर्धमत्स्येन्द्रासन
विधि:
- दंडासन में बैठकर बाएँ पैर को मोड़कर एड़ी को नितंब के पास लगाएँ।
- दाए पैर को बाएँ घुटने के पास बाहर की ओर जमीन पर रखें।
- बाएँ हाथ को दाएँ घुटने के नजदीक बाहर की ओर सीधा रखते हुए दाएँ पैर के पंजे को पकड़ें।
- दाएँ हाथ को पीठ के पीछे से घुमाकर पीछे की ओर देखें।
- इस प्रकार से दूसरी ओर से भी आसन करें।
लाभ:
यह आसन गुर्दा, मधुमेह और कमरदर्द में लाभदायी है।
बद्धकोणासन
विधि:
- दाएँ पैर को मोड़कर बाएँ जंघे पर रखें।
- बाएँ हाथ से दाएँ पंजे को पकड़ें तथा दाएँ हाथ को दाहिने घुटने पर रखें।
- अब दाहिने हाथ को दाएँ घुटने के नीचे लगाते हुए घुटने को ऊपर उठाकर छाती से लगाएँ तथा घुटने को दबाते हुए जमीन पर टिका दें।
- इसी प्रकार इस अभ्यास को विपरीत बाएँ पैर को मोड़कर दाएँ जंघे पर रखकर पूर्ववत करें।
- अंत में दोनों हाथों से पंजों को पकड़कर घुटनों को भी स्पर्श कराएँ और ऊपर उठाएँ।
लाभ :
गुर्दे एवं नितंब जोड़ को स्वस्थ रखने के लिए यह आसन उत्तम है। मासिक धर्म की असुविधा में मदद करता है। थकान दूर करता है।
इसके अलावा प्राणायाम, कपालभाति, अनुलोम-विलोम आदि आसनों का भी लाभ होता है।