वैज्ञानिकों के मुताबिक जो लोग अपने आहार में शहद का इस्तेमाल करते हैं, वे अवसाद और तनाव की गिरफ्त से बच सकते हैं। इससे उन्हें अपनी स्मरण शक्ति बढाने और बुढापे से लडने में मदद मिलती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि शहद में कुछ खास तरह के एंटी-ऑक्सीडेंट पाए जाते है। प्राचीनकाल से ही पूरी दुनिया में शहर का इस्तेमाल प्राकृतिक खाद्य, सौंदर्य प्रसाधक और औषधि के रूप में होता रहा है, शहद का इस्तेमाल एंटीसेप्टिक के रूप में भी किया जाता रहा है। यह अल्सर, जले के इलाज और जख्म के इलाज में काम आता है। इसमें कुछ खास तरह के ऐसे सूक्ष्म रसायन पाए जाते हैं जो इंसान को कुछ खास तरह के कैंसर और बुखार से जूझने में मदद दे सकते हैं. न्यूजीलैंड के यूनिवर्सिटी ऑफ बाइकाटो के शोधकर्ताओं ने चूहों पर शहद के इस्तेमाल का निष्कर्ष निकाला है।
बुढापे से भी दूरी
शोधकर्ता इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि जिन चूहों को शहद खिलाया गया, उनकी न सिर्फ स्मरण शक्ति बढ गई बल्कि उनमें कोशिकाओं के क्षरण की दर भी कम हो गई। इन चूहों की प्रतिरोधी क्षमता में इजाफे की पुष्टि हुई है। डेली मेल अखबार के ऑनलाइन संस्करण में यह खबर दी गई है। शोधकर्ताओं ने चूहों को 10 फीसदी शहद आहार पर रखा. साथ ही उन्हें पूरे साल भर आहार के रूप में 8 फीसदी सुक्रोज दिया गया। उन्हें चीनी से बिलकुल दूर रखा गया। जब यह परीक्षण शुरू हुआ था, चूहों की स्मरण शक्ति और प्रतिरोध क्षमता का आकलन किया गया। शोधकर्ता लिकोला स्टारकी ने इस शोध रिपोर्ट में कहा कि शहद से युक्त आहर न सिर्फ तनाव दूर करता है बल्कि बूढा होने की दर पर भी अंकुश लगाता है।