बहेडा: बहेडे का तेल मधुर, ठंडा, बालों के लिए हितकारी और वामु तथा पित्त को दूर करने वाला होता है।
बिनौला: बिनौले के तेल में विटामिन इ, पाया जाता है। मह फोडे, फुंसी, खुजली, दाह, सूजन, जोडों का दर्द, गठिमा आदि रोगों को दूर करने वाला होता है।
महुआ: महुआ का तेल, गर्म, वातनाशक होता है। वात की सूजन, गठिमा रोग पर इसकी मालिश करने से लाभ होता है।
सरसों: सरसों के तेल में विटामिन ए, बी, व इ, पाया जाता है। सरसों के तेल को कडवा तेल भी कहा जाता है। मह गर्म होता है। इसे कान में डालने से कान का दर्द बंद हो जाता है और मह कान के अंदर के मैल को बाहर निकाल देता है। इसे नमक मिलाकर दांतों में मलने से दांत दर्द व पामरिमा रोग दूर होता है। जाडे के मौसम में सरसों के तेल में थोडी-सी हल्दी मिलाकर धूप में बैठकर पूरे शरीर में मालिश करने से त्वचा चिकनी, मुलामम और सुंदर हो जाती है। छोटे मा नवजात शिशु के पुरे शरीर पर सरसों के तेल की मालिश करके कुछ देर तक धूप में लिटाने से सूखा रोग अच्छा हो जाता है और शरीर धष्ट-पुष्ट होने लगता है।
इस प्रकार मे सभी तेल किसी न किसी रूप में शरीर को लाभ पहुंचाते व सुंदरता बढाते हैं। इन सभी के उपयोग से पूर्व सही व उपयुक्त मात्रा तथा परापर्श ले लेना भी आवश्मक है अन्मथा गलत मात्रा मा गलत विधि से हानि भी हो सकती है। जरूरी है कि, सही तरीका जानकर इनका सेवन मा मालिश में इनका उपयोग करें तथा पूरा लाभ लें।