छोटी-छोटी बातों को भूलना आम तौर पर बहुत ही सामान्य बात होती है, और कई बार इसका कारण व्यस्तता या लापरवाही होता है। लेकिन भूलने का संबंध अल्जाइमर से भी होता है, इसलिए इसे टालना उचित नहीं होगा।
‘अगर अपनों का नाम, फोन डायल करने का तरीका भूल जाएं, या अपने घर के अंदर एक-कमरे से दुसरे-कमरे में जाने का रास्ता आपको याद न रहे, तो इसे मामूली तौर पर न लें। यह बीमारी याददाश्त में कमी नहीं बल्कि अल्जाइमर हो सकती है, जिसके लिए किसी मनोचिकित्सक से संपर्क करना जरुरी है’
अल्जाइमर के लक्षणों में ‘इसके मरीज दिनचर्या से जुडी बातों को ही भूल जातें हैं। उन्हें अचानक याद नहीं आता कि उन्होंने स्नान किया या नहीं, किसी का नंबर फोन पर डायल करना है तो कैसे करें, अपने घर की दूसरी मंजिल पर कैसे जाएं और अपने बच्चों या अपने साथी का नाम क्या है।’ ‘अल्जाइमर क्यों होता है, इसका वास्तविक कारण अब तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन अनुसंधान जारी है, और शायद जल्द ही कुछ पता चल जाए। दूरदराज के पिछडे इलाकों में इस बीमारी के बारे में जानकारी नहीं होने के कारण लोग भूलने की समस्या को गंभीरता से नही लेते। जबकि यह बीमारी है।’
विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक आकलन के मुताबिक दुनिया भर में लगभग एक करोड 80 लाख लोग अल्जाइमर्स से पीडित हैं। डॉ टंडन बताते हैं, ‘इस बीमारी के मरीज पर लगातार ध्यान देना पडता है। वह शुरु में छोटी-छोटी बाते भूलते हैं, लेकिन बाद में उन्हें खुद से जुडे जरूरी काम भी याद नहीं रहते। दवाइयों से ऐसे मरीजों के इलाज में मदद मिलती है। लेकिन इसे पूरी तरह ठीक करना अब तक तो संभव नहीं हुआ है।’
कभी मरीज को बाद में यह सोच कर खुद पर हंसी आ सकती है कि, वह फोन का नंबर डायल करना कैसे भूल गया। लेकिन ऐसे लक्षण सामने आने पर मरीज को फौरन मनोचिकित्सक के पास जाना चाहिए।
क्या याददश्त कम होना और अल्जाइमर एक ही सिक्के के दो पहलू हैं?
‘याददाश्त कम होने से कहीं ज्यादा खतरनाक है अल्जाइमर। सोचिए कि इसके किसी मरीज को अगर रास्ते में अचानक महसूस हो की, घर कहां है, पता नहीं, तब उस पर क्या बीतेगी। अल्जाइमर में दिमाग के तंतुओं का आपस में संपर्क कम हो जाता है। बहुत से लोग अल्जाइमर को भी याददाश्त कम होना मान लेते हैं पर यह समस्या बिल्कुल अलग है।’