बदलती जीवनशैली के चलते अक्सर लोग रात में देर से भोजन करते हैं। इससे कारण हार्मोन्स का संतुलन बिगड सकता हैं।
इसकी वजह से मोटापे और डायबिटीज की शिकायत होती है। दिन भर काम, पढाई की व्यस्तता और अन्य कार्य के दबाव में नियमित रूप से मानसिक एवं शारीरिक परिवर्तन होते रहते हैं और ये हार्मोन्स पर प्रभाव डालते हैं। इससे ब्लड प्रेशर, गेस्ट्रो-इंटेस्टाइनल फंक्शन, रोग-प्रतिरोधकता, दिमागी चुस्ती और एकाग्रता पर विपरीत असर पडता है। ताजे अध्यायन के मुताबिक मोटापे का जीन दिन-रात में अलग तरह से व्यवहार करता है और यह रात के भोजन के बाद ज्यादा सक्रिय हो जाता है। हाई कैलोरी, तेल से तैयार, ज्यादा नमक-चीनी और खतरनाक ट्रांस फैट और ऊपर से गडबड जीवनशैली और उसका तनाव मिलकर नुकसानदेह कॉकटेल बनाते हैं। जो लोग घर पर रहते हैं वो खाने का समय सुधार ही सकते हैं। जो काम पर रहते हैं, वे हेल्दी स्नैक्स ले सकते हैं।
देर रात तक काम करने वालों को ब्रेक लेना चाहिए और कैलोरी सेवन में संतुलन बनना चाहिए।
भारतीय आयुर्वेद की परंपरा और सिद्धांतों के मुताबिक सूर्यास्त के बाद खाना नहीं खाना चाहिए। खाने का समय बदलने और सोने से 3-4 घंटे पहले भोजन करने से एनर्जी लेवल बढ जाता है और पाचन संबंधी अनेक विकार दूर हो सकते हैं। बाहर खाने जाने से पहले घर से ही थोडा खाकर चलें, ताकि ज्यादा देर से या मनपसंद खाना न खाने से सेहत की कोई समस्या पैदा न हो। रात में हल्का खायें।
शाम को खाने में ऐसे स्नैक्स लिए जाएं, जिनसे आपकी वेस्टलाइन न बढे। जैसे रोस्टिड नट्स या ड्राईफ्रुटस्, पॉपकॉर्न, भेलपूरी, भुने चने, स्प्राउटस् तथा सलाद, ताजे फलों के जूस और सब्जियों के सूप, फल एवं सब्जियों के साथ दही, ताजे जूस और सूप, भूने खाखडा और पापड, सब्जियां, भुने साबुत अनाज और दालें, ताजे फल, सलाद और चाट इत्यादि लेना बेहतर होगा।