न्यकैसल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार हमें गाजर काटकर पकाने के बजाय पकाकट काटना चाहिए। इससे गाजर में कैंन्सर रोधी तत्त्व फैल्सेरिनॉल की मात्रा 25 फीसदी अधिक रहती है। शोधकर्ताओं ने यह निष्कर्ष काटकर पकाये औंर पकाकर काटे गये गाजर में मौजूद उक्त तत्त्व का तुलनात्मक रूप से अध्ययन करने के बाद निकाला। इससे पहले चूहों पर किए गये एक अध्ययन में पाया गया कि जिन चूहों के खाने में गाजर को शामिल किया गया था। उनमें ट्यूमर होने की संभावना एक तिहाई कम हो गयी थी। असल में जब हम गाजर को काटकर पकाते हैं, तो उसमें मौजूद ज्यादातर पेषक तत्व पानी में घुलकर निकल जाते हैं। इसके विपरीत जब हम इसे काटे बिना साबुत पकाते हैं, तो इसमें कुदरती रुप से मौजूद शक्कर, जिसके चलते गाजर मीठा लगता है और अधिक कंसंट्रेट हो जाती है। साथ ही इसके पोषक तत्व भी नष्ट नहीं होते और स्वाद भी बना रहती है। इसलिए अब बेहतर यहीं होगा कि आप गाजर को काटकर न पकायें।