दांतों का एक बहुत ही प्रचलित रोग है, पायरिया। यह रोग आधुनिक सभ्यता की देन है। डिब्बों में बंद खाद्य पदार्थ, शक्कर, मैदा, पालिश वाले चावलों की और, ज्यों-ज्यों हमारा आकर्षण इन खानो की ओर बढ रहा है, त्यों-त्यों इस रोग के रोगियों की संख्या भी बढती जा रही है।
पायरिया की रोकथाम के लिए भोजन में क्षार की मात्रा भी होना चाहिए जो चोकरदार आटा, दूध, ताजे पके फल व हरी कच्ची तरकारियों में अधिक मात्रा में होता है। यदि इसको ध्यान रखा जाए तो यह रोग कभी नहीं होगा। अक्सर लोग कहा करते हैं कि चीनी खाने से दांत खराब होते है। यह काफी अंशो में सही बात है। गन्ने के रस से जहां चीनी बनती है तो उसमें कैल्शियम चूने का अंश नहीं रह जाता है, और चीनी कैल्शियम के बिना पचती नहीं।
अत: चीनी के पाचन के लिए कैल्शियम हड्डियों से खिंचकर आता है। फलत: हड्डियों के सारे ढांचे पर प्रभाव पडता है किन्तु दांत बाहर होने के कारण उसका प्रभाव उन पर प्रत्यक्ष दिखाई देता है। अत: दांतों के रोग समाप्त करने हैं तो भोजन में कैल्शियम की समुचित मात्रा होनी चाहिऐ जो हरी तरकारियों जैसे फूलगोभी,टमाटर,लौकी, गाजर, खीरा, पालक, संतरा, जिल व दूध में अधिक मात्रा में पाया जाता है।
बाजारू दवाइयां लगाकर दांतों को निकम्मा न बनाएं अपितु सेशा नमक मिला सरसों का तेल अथवा नींबू का रस लगाना काफी होगा।