स्वास्थ्यवर्धक बीज
‘बीज’ प्रकृति की हर चीज की उत्पत्ति का कारण होता है। बीज में ऊर्जा का खज़ाना होता है। प्राणीमात्र की पौष्टिकता हेतु बीज एक उत्तम साधन होता है। सूक्ष्म पोषक तत्त्व के संशोधन के अनुसार जो लोग अपने आहार में नियमित रूप से बीजों का सेवन करते हैं उन्हें हृदय विकार और मधुमेह होने की संभावना कम होती है ऐसा निष्कर्ष सामने आया है, जिस पर और शोध करने की प्रक्रिया चल रही है। हम इस लेख में ऐसे ही फायदेमंद, स्वास्थ्यवर्धक बीजों के विषय में कुछ जानकारी प्राप्त करने का प्रयास करनेवाले हैं।
1) सूर्यफूल के बीज:
सूर्यफूल के बीजों में सूक्ष्म पौष्टिक तत्त्व होते हैं। हम सहसा इसका सेवन नहीं करते। सामान्यतः सूर्यफूल के तेल का इस्तेमाल करते हैं। सूर्यफूल के बीजों में विटामिन ‘ई’ होता है।सूर्यफूलों के बीजों का लाभ
- इसमें विटामिन ‘ई’ होने के कारण वह हमारे शरीर के ‘फ्री रेडिकल्स’ से कोशिकाओं की सुरक्षा प्रदान करता है।
- रक्त संचार को नियमित करने में मदद करता है और लाल रक्त पेशियों (RBCs) की प्रॉडक्शन में सहायता करता है।
- सूर्यफूल के बीज में थायमिन (Thiamine) नामक तत्त्व होता है एवं इसमें विटामिन ‘बी’ भी मौजूद होता है। यह तत्त्व शरीर के पेशियों को सुचारू रूप से कार्य करने के लिए उत्तेजित करते हैं।
- सामान्य पुरुषों को प्रतिदिन 1.2 mg विटामिन बी-1 की ज़रूरत होती है और महिलाओं को प्रतिदिन 1.1 mg की आवश्यकता होती है।
- इन बीजों में विटामिन ‘ई’ की प्रचुर मात्रा होने के कारण यह त्वचा और बालों के लिए सर्वोत्तम होते हैं। इन बीजों के सेवन से धूप में जो अल्ट्रावायलेट किरणों (ultraviolet radiation) से नुकसान होता है वह इनके सेवन से त्वचा को सुरक्षा प्रदान करता है।
सूर्यफूल के बीजों का सेवन करने का तरीका
- इन्हें थोड़ा भूनकर खाया जा सकता है।
- इन्हें भिगोकर सलाद, सूप या सैंडविच में डालकर खा सकते हैं।
- इनका पाउडर बनाकर नाश्ते में मिला लें या सब्ज़ी पर बुरककर खाएँ।
- इसके अलावा इसे दाल, चावल, रोटी में (पीसकर) डाल सकते हैं।
2) तिल के बीज:
पुरातन काल से तिल का तेल मनुष्यों के जीवन का एक अति महत्वपूर्ण हिस्सा बना हुआ है। तिल और तिल के तेल का उपयोग, पौष्टिकता, स्वास्थ्य की सुरक्षा और रोग दूर करने का मुख्य अंग है। तिल में ओमेगा-6 फैटी ऐसिड, फ्लेवोनॉइड, फीनोलिक, एंटी ऑक्सिडंट, विटामिन और रेशेदार तत्त्व होते हैं, जो स्वास्थ्य को सुरक्षा देते हैं।
उपयोगिता
- यह स्वास्थ्यवर्धक अन्न है।
- स्वास्थ्य के लिए आवश्यक सभी महत्वपूर्ण तत्त्व यानी पौष्टिकता, खनिज, एंटी ऑक्सिडंट और विटामिन होता है।
- तिल में मोनो-अनसैच्यूरेटेड फैटी ऐसिड की भरपूर मात्रा मौजूद होती है, जो खराब कोलेस्ट्रोल को कम करने में मदद करती है। इसके अलावा हृदय को बलवान करता है। अच्छा कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में सहायक होती है।
- तिल में उच्च प्रति के खनिज और विटामिन मौजूद होते हैं। इसमें विटामिन ‘बी’ कॉम्प्लेक्स जैसे नायसिन, फोलिक ऐसिड और थायमीन होते हैं।
- इसमें एंटी ऑक्सिडंट होते हैं तथा यह उत्तम प्रकार के प्रोटीन से युक्त होता है। इसमें कैल्शियम, लोह, मैग्नेशियम और कॉपर होता है।
- यह उच्च रक्तचाप को कम करती है।
- दाँतों की तकलीफों को कम करती है।
- बच्चों के मालिश के लिए तथा हड्डियों की मजबूती के लिए इसका तेल सर्वोत्तम होता है।
- तिल निराशा को दूर करती है।
3) लाल कद्दू के बीज :
- लाल कद्दू के बीजों में प्रचुर मात्रा में मैग्नेशियम होता है। मैग्नेशियम सही रक्तचाप के लिए उपयुक्त होता है, साथ ही यह अचानक आनेवाले हृदयाघात, हृदयविकार को रोकने में सहायक होते हैं।
- लाल कद्दू के बीजों में ज़िंक (zinc) की मात्रा भी भरपूर होती है। ज़िंक शरीर की प्रतिकार शक्ति को बढ़ाता है। इससे हमारा मूड, नींद, आकलन शक्ति विशेषकर बच्चों की थकान इत्यादि तंदुरूस्त होता है।
- इनमें ओमेगा-3 फैटी ऐसिड होता है।
- पुरुषों के स्वास्थ्य के लिए कद्दू के बीज बहुत गुणकारी सिद्ध हुए हैं। इन बीजों में जिंक प्रचुर मात्रा में होता है, जो पुरुषों के प्रोस्टेट ग्रंथियों के सेहत के लिए लाभदायी होते हैं।
- महिलाओं के रजोनिवृत्ति के बाद कद्दू के बीजों का सेवन विशेष फायदेमंद साबित हो सकता है। रजोनिवृत्ति के बाद जो सिरदर्द, जोड़ों का दर्द, शरीर में गर्मी बढ़ना एवं दूसरे और लक्षणों से बचने के लिए कद्दू के बीजों का सेवन उत्तम होता है क्योंकि इसमें प्राकृतिक phytoestrogens होता है।
- कद्दू के बीजों में स्वस्थ फैट, एंटी ऑक्सिडंट और फाइबर होते हैं, जिसका प्रभाव हृदय और लीवर के स्वास्थ्य पर अच्छा दिखाई देता है।
- कद्दू के बीजों का तेल सूजन और जलन को मिटाने का कार्य करता है।
4) चीया (chia) के बीज :
चीया के बीज हमारे लिए नया नाम है। यह बीज मूलतः दक्षिणी अमेरिका में पाया जाता है। चीया का मतलब है सशक्तता (strength), जिसमें बहुत से पौष्टिक तत्त्व मौजूद होते हैं। दक्षिण अमेरिका में वजन घटाने के लिए इसका इस्तेमाल बड़ी मात्रा में हो रहा है। चीया के बीज में ओमेगा-3 फैटी ऐसिड, कार्बोहायड्रेट, प्रोटीन, फाइबर, एंटी ऑक्सिडंट और कैल्शियम होता है।
चीया के बीज प्रकियामुक्त पूर्ण अनाज होता है, जो हमारे शरीर में जल्दी से जज्ब (absorb) हो जाता है। इसके सेवन से पेट भरा-भरा महसूस होता है, खाना कम खाया जाता है, जिससे बिना दुष्परिणाम वजन कम होता है।
उपयोगिता
- इसमें ओमेगा-3 फैटी ऐसिड होता है, जिससे बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित होता है, जलन कम होती है।
- चीया के बीज इन्शुलिन को नियंत्रित करता है, जो मधुमेहियों के लिए वरदान होता है।
- चीया के बीजों में एंटी ऑक्सिडंट होता है, जो हमारे शरीर के फ्री रेडिकल्स से सुरक्षा करता है, हमारे कोशिकाओं की उम्र को जवान रखता है और यह कैंसर में भी फायदेमंद साबित होता है।
5) मेथी :
मेथी की हरी सब्ज़ी और मेथीदाना दोनों भारतीय रसोई का मुख्य पदार्थ हैं। मेथी में प्रोटीन, फाइबर, विटामिन सी, पौटेशियम, लोह इत्यादि होते हैं। स्वास्थ्य और सौंदर्य दोनों के लिए मेथी बहुत लाभकारी होती है।
- मेथी के नियमित सेवन से प्रसूता की प्रसूति सहज होती है। इससे प्रसूति का दर्द कम होता है। (इसका सेवन सीमित मात्रा में करें।)
- स्तनपान करानेवाली महिलाओं को उपयुक्त।
- मेथी वातनाशक होती है इसलिए वात रोगों में इसका उपयोग किया जाता है। मेथी कृमि, शूल, संधिवात, कमरदर्द आदि में उपयुक्त होती है।
- मेथी पित्तनाशक होती है।
- मेथी के सेवन से स्त्रियों की कमजोरी दूर होती है और उनकी जठराग्नि प्रदीप्त होती है।
- मेथी के सेवन से आँतों का कर्करोग होने की आशंका कम होती है।
- एक चम्मच नींबू और शहद के साथ मेथी या मेथी का पाउडर खाने से बुखार कम होता है और कफ को कम कर गले की सूजन को कम करती है।
- मेथी को अंकुरित कर उसकी सब्ज़ी बनाकर खाने से मलावरोध दूर होता है। खून शुद्ध होता है और बवासीर में लाभ होता है।
- मेथीदाने को भिगोकर पीसकर लगाने से सूजन कम होती है, जख्म की जलन कम होती है।
- मधुमेहियों के लिए मेथी वरदान है, प्रतिदिन अपने आहार में मेथी का कम से कम 2 चम्मच समावेश करने से फायदा होता है।
अंबिका नायर
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