Maha-Asamani Param-Gyan Retreat

महा आसमानी परंम ज्ञान शिबीर


हर एक इन्सान, अपने जीवन में, हमेशा खुषी और संतुष्टी चाहता है। हर एक जन,
आनंदित और शांतिमय जीवन, जीना चाहता है। कोई भी इन्सान, दुःख और चिन्ता मे,
नही रहना चाहता। हर कोई इन्सान, तणाव एवं परेशानियों से मुक्त होकर, निर्भय
और निश्‍चिंत जीवन जीना चाहता है।


अर्थात, इन्सान के हर कार्य, और प्रयास के पिछे, ‘दुःख से मुक्ती’ और ‘स्थाई
आनंद की प्राप्ती’- यही बुनियादी चाहत, रहती है। मगर फिर भी, आज अगर दुनिया
मे देखा जाय, तो संपूर्ण संतुष्ट, और आनंदीत लोग बहोत कम दिखाई देते है; चाहे
फिर वे लोग, कितने भी धनवान हो, या किर्तीवान हो, चाहे वे सत्तावान हो, या
बुध्दीवान हो। उनके जीवन में हमेशा कुछ कमी वे महसूस क रते है, कुछ अपूर्णता
का एहसास उन्हे रहता ही है


आज, हर एक इन्सान, चाहे वह , स्त्री हो या पुरुष हो, युवा हो या वृध्द हो,
अमीर हो या गरीब हो, हर एक को, प्रेम-आनंद-और-शांन्ती की ही, तलाश है। क्या
आप भी अपने जीवन में, कभी-भी खत्म न होने वाली, स्थायी खुषी का राज, खोजना
चाहते है? तो जरुर करें, महाआसमानी परंम ज्ञान शिबीर!


खोज करना हम सब का, स्वाभाविक गुण है। हर छोटा बच्चा, हमेशा कुतुहल और
जिज्ञासासे भरा होता है। वह हर चिज को, मुह मे डालकर या देखकर, उसे जानना
चाहता है। जानना और खोज करना, हम सभी की मुलभुत क्षमता है। जानने से ही,
जानकारी प्राप्त होती है। इसी कारण, इन्सान जीवनभर, दुनियाभर की जानकारी,
इकठ्ठा करता रहता है। अपने ज्ञानेंद्रियों को, बाहर की ओर दौडाता है, हमेशा
बाहरी दुनिया को जानना चाहता है। और अपने आपको जानना भुल जाता है। आज हम पुरी
कायनात को जान रहे है, मगर खुद को जानना, हम miss कर देते है। यही missing
link है।


जानने से ही, जिज्ञासा जगती है, जिज्ञासा से ही खोज होती है, और हर खोज की
शुरुवात सवालों से होती है। मनुष्य जीवन का, उद्देश क्या है? हम पृथ्वी पर,
क्यो है ? जीवन मे, सुख और दुःख, क्यों है? क्या इनसे मुक्ती – वाकई संम्भव
है। क्या, इसी जीवन मे, ममोक्षफ संम्भव है? अगर आपके अन्दर भी, ऐसे सवाल कभी,
उभरते है, तो आपको भी, महाआसमानी परंम ज्ञान शिबीर, जरुर करना चाहिए।


कहते है, खोजने से, ईश्‍वर भी, मिलते है। सही जगह, सही तरीके से, खोज करने
पर, जीवन का अतिंम सत्य प्राप्त हो, सकता है। क्या आप भी, स्वयं को और ईश्‍वर
को जानना चाहते है? क्या आप खुद, खुदा से वाकीफ होना चाहते है? तो जरुर क
रे, महाआसमानी परंमज्ञान शिबीर!


हम से, कोई भी कार्य, या कर्म होने से पहले, हमारे अन्दर, उसके संदर्भ मे,
पहले विचार तय्यार होते है; और इसके बाद ही, हम से वह, कर्म होता है। यानी
हमारे सारे कर्म, हमारे विचारों पर ही निर्भर होते है। और हमारे सारे विचार,
हमारी सोच, हमारे ज्ञान पर आधारीत होती है। जिस प्रकार की, जानकारी हम रखते
है वैसे ही विचार, हमारे अन्दर आते है। अर्थात जैसा ज्ञान, वैसे विचार, जैसे
विचार वैसा कर्म, और जैसा कर्म वैसा जीवन! इसलिए, विश्‍व की, सभी संस्कृतीयों
मे, ज्ञान को ही परम्मोच्च महत्व दिया गया है।


बचपन से, हम बाहर से, दुसरों से, जानकारी प्राप्त करते है, और उसी को ही
सच्चाई मान लेते है। सभी प्रकार के ज्ञान मे, स्वयं का ज्ञान-आत्म ज्ञान
अंतिम और महत्वपूर्ण है। क्या आप, तर्क-वितर्क से परे, जीवन के परंमज्ञान को
पाना चाहते है? क्या आप, मै कौन हॅुं? इस बुनियादी, आध्यात्मीक सवाल का जवाब,
स्वबोध से जानना चाहते है? तो जरुर करे, महाआसमानी परंम ज्ञान शिबीर।


सच्चा ज्ञान, हमेशा, हमे ‘स्व’ अनुभुती से ही प्राप्त होता है, और ‘स्व’ बोध
ही उसका प्रत्यक्ष प्रमाण होता है। अब तक अध्यात्म के अनेक मार्ग बताए गए
हैं। जैसेः जप, तप, मंत्र, तंत्र, कर्म, भाग्य, ध्यान, ज्ञान, योग और भक्ति
आदि। इन मार्गो के अंत मे जो समझ, जो बोध प्राप्त होता है, वह एक ही है, सत्य
के हर खोजी को अंत में एक ही समझ मिलती है और इस समझ को सुनकर भी प्राप्त
किया जा सकता है। उसी समझ को सनना यानी तेजज्ञान प्राप्त करना है। तेजज्ञान
के श्रवण से सत्य का साक्षात्कार होता है, ईश्‍वर का अनुभव होता है। यही
तेजज्ञान सरश्री महाआसमानी शिविर में प्रदान करते हैं। इसलिए आईए, पृथ्वी पर
जिस उद्देश से, मनुष्य देह हमे मिली है, उसे सार्थक बनाने के लिए, महाआसमानी,
परंम ज्ञान शिबीर के माध्यम से, तेज गुरु सरश्री जी की पावन सिखावनीयों को,
जानने का अभुतपूर्व अवसर प्राप्त करें।


हर साल हजारो खोजी इस शिबीर का लाभ लेते है। शिबीर करने से खोजीयों को
अनगिनत लाभ होते है। हर खोजी को जीवन मे एक दमदार लक्ष्य प्राप्त होता है तथा
उन्हे, जीवन मे हर पल वर्तमान मे जीने की युक्ती मिलती है। वे चिन्ता, भय,
क्रोध ओर तणाव से मुक्त होकर हर परिस्थिती मे प्रेम, आनंद, मौन, चुस्ती और
संतुष्टी का अनुभव करते है। हर खोजी की अनंत संम्भावनांए इस शिबीर के बाद
खुलती है। यह छ दिवसीय निवासी शिबीर मनन आश्रम पर आयोजीत किया जाता है। मनन
आश्रम, पुणे शहर से सिर्फ 15 km अंन्तर पर, नांदोशी गांव मे, नैसर्गिक एवं
सुंदरतम पहाडीयों की गोद मे बसा हुआ है। अधिक जानकारी के लिए 09921008060/75
नंबर पर, या
www.tejgyan.org
इस साईट पर संम्पर्क करें। 

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